Wednesday 15 April, 2009


विज्ञान को न बनाये अंग्रेजी का मोहताज़


" हिन्दी विज्ञान लेखन के लिए आवश्यक है कि अन्य भाषाओँ की सहायता से उसका सरलीकरण किया जाए, तभी हम लेखन में रूचि पैदा सकते हैं " ऐसा कहना है जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर आरआर दस का। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में विज्ञान भारती द्वारा आयोजित हिन्दी विज्ञान लेखन कार्यशाला के समापन सत्र में उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा को भारतीय सरकार ने ही कुंठित किया है। हमें हिन्दी भाषा का विकास करना होगा। उन्होंने हिन्दी भाषा की सशक्तता की भी चर्चा की। जैसे हर भाषा की अपनी पहचान होती है उसी तरह हिन्दी की अपनी अलग पहचान है। इसके मध्यम से हम जन सामान्य तक पहुँच सकते है।
प्रो दास ने कहा कि हमें संकल्प लेना चाहिए कि हिन्दी के माध्यम से विज्ञान को जन-जन तक पहुंचाए क्योंकि दुनिया जानने का सबसे आसान तरीका विज्ञान है । कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित मध्यप्रदेश विज्ञान प्रोद्योगिकी परिषद् के परियोजना निर्देशक डॉ एन पी शुक्ला ने कहा आज हिन्दी में विज्ञान लेखन की कमी दिखती है, विज्ञान को तरह से अंग्रेजी का मोहताज़ कर दिया गया है। यह हिन्दी के ख़िलाफ़ एक षडयंत्र है। गाँवो व दूर दराज के बच्चे विद्वान होने के बावजूद अंग्रेजी भाषा के कारण पीछे रह जाते है। उन्होंने विज्ञान का अस्तित्व वैदिक काल से स्वीकारा। हिन्दी विज्ञान कविता के विशेषज्ञ डॉ कपूर मल जैन ने विज्ञान लेखन पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में रुक्मणी देवी साइंस एवं टेक्नोलॉजी भोपाल के निदेशक डॉ एन के तिवारी ने पूरे कार्यक्रम की गतिविधियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। कार्यक्रम के प्रारंभ में प्रतिभागियों ने अलग-अलग समूहों में विभिन् विधाओं के माध्यम से विज्ञान लेखन प्रस्तुतीकरण किया। इसमे जगदीशचंद्र बासु समूह के विद्यार्थियों सुशील कुमार त्रिपाठी, तृप्ति शुक्ला, सुधीर सिंह, स्वाति प्रिया और मयंक चतुर्वेदी ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम के अंत में विज्ञान भारती के सचिव डॉ राकेश पाण्डेय ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया साथ ही कहा कि ऐसे कार्यक्रम को हर माह आयोजित किए जाने की आवश्यकता है। कार्यक्रम का संचालन पुर्सोतम शर्मा ने किया। कार्यक्रम ने विज्ञान भारती से राकेश राजपूत , रवि सिंह, रजनीश खरे और आशीष उपस्थित थे।

Friday 10 April, 2009

मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म (MJ) और पी जी डिप्लोमा इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नलिज्म (PGDSJ) पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रारंभ

आवेदन आमंत्रित है: अंतिम तिथि 30 अप्रैल 2009

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के पत्रकारिता विभाग द्वारा संचालित मास्टर ऑफ़ जर्नलिज्म (M.J) और पी जी डिप्लोमा इन साइंस जर्नलिज्म कोर्स में प्रवेश के लिए आवेदन करने की अन्तिम तिथि 30 अप्रैल 2009 है। इन पाठ्यक्रमो में प्रवेश के इच्छुक विधार्थी एक सादे कागज पर अपना आवेदन पत्र पाठ्यक्रम का नाम, अपना नाम, पिता का नाम, पत्र व्यवहार का पता, जन्म तिथि, शैक्षणिक योग्यता, परीक्षा केन्द्र, जाति प्रमाण पत्र, स्थायी निवास प्रमाण पत्र आदि समस्त विवरण देते हुए तथा साथ में दो पासपोर्ट आकार के फोटो और विश्वविद्यालय के पक्ष में देय रूपये 350 का डिमांड ड्राफ्ट लगाकर विश्वविद्यालय के त्रिलोचन नगर, भोपाल स्थित पते पर भेज सकते हैं। SC, ST के उम्मीदवारों को 250 रूपये का डिमांड ड्राफ्ट लगाना होगा । इन पाठ्यक्रमों प्रवेश हेतु परीक्षा 31 मई को देश के आठ केन्द्रों भोपाल, कोलकत्ता , लखनऊ , पटना, रांची, जयपुर, नॉएडा और खंडवा केन्द्रों पर होगी। किसी भी विषय में स्नातक विद्यार्थी एम.जे पाठ्यक्रम और विज्ञान विषय में स्नातक विद्यार्थी पी.जी डिप्लोमा इन साइंस जर्नलिज्म पाठ्यक्रम में प्रवेश की पात्रता रखते हैं। स्नातक अन्तिम वर्ष की परीक्षा में सम्मिलित हो रहे विद्यार्थी भी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते है। एम.जे. कोर्स की अवधि दो वर्ष एवं विज्ञान पत्रकारिता पाठ्यक्रम की अवधि एक वर्ष की है। विज्ञान पत्रकारिता पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को विश्वविद्यालय की ओर से एक हजार रूपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। विस्तृत जानकारी के लिए फ़ोन नम्बर 0755-4290230 पर सम्पर्क किया जा सकता है। गत वर्ष के प्रवेश परीक्षा प्रश्न पत्र के लिए नीचे देख सकते हैं। इच्छुक विद्यार्थी आवेदन का प्रारूप विभाग के ब्लॉग से भी प्राप्त कर सकते है।
आवेदन का प्रारूप
(1) पाठ्यक्रम का नाम जिसके लिए आवेदन करना है:
(एक से अधिक पाठ्यक्रम की दशा में वरीयता क्रम में उनके नाम लिखे, दो प्राथमिकता होने पर आवेदन फार्म दो प्रतियों में भरे)
(A) ............................... (B) ........................
(2) परिसर प्राथमिकता ( एम जे के लिए ) :
(A) भोपाल, (B) नॉएडा
(3) आवेदक का नाम: .....................................
(4) पिता का नाम: .........................................
(5) जन्म तिथि : ...........................................
(6) पता (पिन कोड सहित) : ..........................
(7) शैक्षणिक योग्यता: .....................................
(मार्कशीट की फोटोकॉपी साथ में भेजें)
(8) परीक्षा केन्द्र (प्राथमिकता): .........................
(9) वर्ग: सामान्य, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग:................................................................
(जाति प्रमाण पत्र संलग्न करें)
(10) डिमांड ड्राफ्ट का विवरण (ड्राफ्ट क्रमांक, दिनांक, बैंक का नाम):...............
(11) (A) ईमेल:...............................................
(B) फ़ोन एवं मोबाइल नम्बर ..........................
(12) आवेदक के हस्ताक्षर: ................................
नोट: आवेदन पत्र के साथ दो पासपोर्ट आकर के फोटो भी संलग्न करें।

PAPERS OF 2008 ENTERENCE EXAM









जनहित में हो विज्ञान लेखन




'विज्ञान लेखन के लिए जनपक्षीय होना जरुरी है, जनता की दृष्टि से सोचकर विज्ञान लेखन करना चाहिए।' यह बात मेघनाथ साहा पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. संतोष चौबे ने शुक्रवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित हिंदी विज्ञान लेखन कार्यशाला के दौरान कही. तीन दिन तक चलने वाली यह कार्यशाला विज्ञान भारती भोपाल और मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की तरफ से आयोजित की जा रही है.

कार्यशाला के उदघाटन समारोह में मुख्य अतिथि मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के पी। के. वर्मा ने अख़बारों की विज्ञान प्रसार में महती भूमिका बताते हुए विज्ञान के नियमित कॉलम लिखने पर जोर दिया. विज्ञान भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. नवीन चंद्रा ने विज्ञान लेखन में हिंदी का औचित्य स्पष्ट करते हुए हिंदी को विज्ञान और जनसामान्य के जुड़ाव के लिए आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी सारे भारत में विज्ञान के प्रति जागरूकता ला सकती है.

रुक्मणी देवी साइंस एवं टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ. एन. के. तिवारी ने हिंदी विज्ञान लेखन में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका बताई. उन्होंने कहा कि विज्ञान लेखन सफल तभी हो सकता है जब उसमे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रोचकता हो. इसके अलावा चक्रेश जैन ने प्रतिभागियों को शीर्षक बनाने के गुर बताए. उन्होंने बताया कि किस प्रकार के शीर्षक के माध्यम से पाठक को लेख पढने के लिए आकर्षित किया जा सकता है. इस अवसर पर विज्ञान भारती के सचिव डॉ. राकेश पाण्डेय भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन पुरुषोत्तम शर्मा ने किया.