Friday 10 April, 2009

जनहित में हो विज्ञान लेखन




'विज्ञान लेखन के लिए जनपक्षीय होना जरुरी है, जनता की दृष्टि से सोचकर विज्ञान लेखन करना चाहिए।' यह बात मेघनाथ साहा पुरस्कार से सम्मानित डॉ. सीवी रमन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. संतोष चौबे ने शुक्रवार को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में आयोजित हिंदी विज्ञान लेखन कार्यशाला के दौरान कही. तीन दिन तक चलने वाली यह कार्यशाला विज्ञान भारती भोपाल और मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद की तरफ से आयोजित की जा रही है.

कार्यशाला के उदघाटन समारोह में मुख्य अतिथि मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के पी। के. वर्मा ने अख़बारों की विज्ञान प्रसार में महती भूमिका बताते हुए विज्ञान के नियमित कॉलम लिखने पर जोर दिया. विज्ञान भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ. नवीन चंद्रा ने विज्ञान लेखन में हिंदी का औचित्य स्पष्ट करते हुए हिंदी को विज्ञान और जनसामान्य के जुड़ाव के लिए आवश्यक बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी सारे भारत में विज्ञान के प्रति जागरूकता ला सकती है.

रुक्मणी देवी साइंस एवं टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट के निदेशक डॉ. एन. के. तिवारी ने हिंदी विज्ञान लेखन में सूचना प्रौद्योगिकी की महत्वपूर्ण भूमिका बताई. उन्होंने कहा कि विज्ञान लेखन सफल तभी हो सकता है जब उसमे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रोचकता हो. इसके अलावा चक्रेश जैन ने प्रतिभागियों को शीर्षक बनाने के गुर बताए. उन्होंने बताया कि किस प्रकार के शीर्षक के माध्यम से पाठक को लेख पढने के लिए आकर्षित किया जा सकता है. इस अवसर पर विज्ञान भारती के सचिव डॉ. राकेश पाण्डेय भी उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन पुरुषोत्तम शर्मा ने किया.

1 comments:

विधुल्लता said...

डॉ संतोष चौबे भोपाल के चुनिन्दा बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्तियों में से एक हैं ...जो किसी पहचान के मोहताज नही ...हिन्दी के हर पक्ष पर साथ अन्य विधाओं में वो जितनी सहज पकड़ रखतें हैं ...दूसरो को वो नसीब नही.... साथ ही डॉ एन के तिवारी का ये कहना भी सही है की विज्ञान लेखन सफल तभी हो सकता है जब उसमे वैज्ञानिक दृष्टिकोण और रोचकता हो लेकिन अब भोपाल जैसे शहरों में विज्ञान रिपोर्टिंग को भी अखबारों में उचित स्थान मिलना चाहिए...