Tuesday 6 January, 2009

संयमित जीवन के साथ संयमित लेखन भी जरुरी









भोपाल। सबसे पहले विभाग की तरफ़ से सभी को नव वर्ष की शुभकामनाएं. नया साल सभी के लिए शुभ हो, मंगलमय हो. विभाग द्वारा यूनिसेफ और मध्य प्रदेश स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (एमपीसैक्स) के सहयोग से एचआईवी/एड्स लेखन कार्यशाला का आयोजन किया गया. यह चार दिवसीय आयोजन भोपाल से कुछ दूरी पर होशंगाबाद रोड पर स्थित वृन्दावन गार्डन में हुआ. इस कार्यशाला में विभाग के सही विद्यार्थियों के साथ विभिन्न जगहों से आए पत्रकारों और डॉक्टरों ने भाग लिया. यह कार्यशाला 2-6 जनवरी तक चली. इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य एचआईवी/एड्स प्रभावितों से जुड़े लेखन को कुछ विशेष गाईडलाइन के साथ लिखना ताकि इनके अधिकारों का हनन न होने पाए. कार्यक्रम में एचआईवी/एड्स प्रभावितों और उनके काउन्सलरों से विद्यार्थियों को मिलकर उनसे बातकर कहानियाँ और फीचर तैयार करना था, लिखे गये फीचर और कहानियों को विभाग द्वारा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपवाने की कोशिश की जायेगी। साथ ही इन कहानियों को एक साथ संकलित कर एक किताब का रूप देने की भी योजना है।

कार्यक्रम के पहले दिन तकनीकी सत्र था। जिसमें एमपीसैक्स की ज्वांट डायरेक्टर श्रद्धा बोस, एमपीसैक्स के डॉ. डी एम सक्सेना, बी. एल. शर्मा, विकास पत्रकारिता से जुड़े पत्रकार राकेश दीवान, यूनिसेफ की ऑफिसर इंचार्ज बीना बंदोपाध्याय ने भाग लिया. सभी विद्वानों ने एचआईवी/एड्स के वर्तमान परिदृश्य की चर्चा करते हुए इस कार्यशाला को एचआईवी/एड्स के खिलाफ मील का पत्थर बताया. साथ ही यह भी कहा कि संयमित जीवन के साथ संयमित लेखन भी जरूरी है ताकि उनके अधिकारों का उल्लंघन न होने पाए. इस बीमारी से लड़ने के लिए मीडिया और नागरिकों की साझेदारी को जरुरी बताया। इसके बाद वकील अनुराग श्रीवास्तव ने एचआईवी/एड्स प्रभावितों के अधिकारों से संबंधित विभिन्न धाराओं के बारे में विस्तार से बताया और इससे जुड़े विभिन्न मामलों कि भी चर्चा की। इसी दिन रात में एचआईवी/एड्स प्रभावित पर आधारित एक फ़िल्म माय ब्रदर निखिल का प्रदर्शन किया गया।

दूसरे दिन आईआईएमसी की प्रो. गीता बोम्मजई, हिमांचल विवि के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. टीडीएस आलोक, विकास संवाद के सचिन जैन तथा अलंकार मालवीय ने एचआईवी/एड्स पर अपने वक्तव्य दिए. फ़िर विद्यार्थियों ने एड्स/एड्स प्रभावितों और उनके काउन्सलरों से बात कर विभिन्न कहानियाँ, रेडियो और टेलीविज़न स्क्रिप्ट, डायरी और फीचर लिखे जिस पर वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी, शरद द्विवेदी, निमिष कुमार, गिरीश उपाध्याय, मधुकर द्विवेदी, गिरीश उपाध्याय, कथाकार सुधीर सुमन के साथ ही यूनिसेफ के कम्युनिकेशन ऑफिसर भाई शेल्ली और एड्स/एड्स प्रभावितों और काउन्सलरों ने अपनी टिप्पणियां दी. यह सिलसिला तीसरे दिन भी जारी रहा. चौथे दिन एमपीसैक्स के डॉ. डी. एम. सक्सेना ने विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब दिया इस दिन आयोजन की अनौपचारिक समाप्ति हुई. कार्यक्रम की औपचारिक समाप्ति विवि परिसर विकास भवन में 6 जनवरी को संपन्न हुई. इस अवसर पर विवि के कुलपति श्री अच्युतानंद मिश्रा, यूनिसेफ के रीजिनल डायरेक्टर हामिद अल बशीर, यूनिसेफ के प्रभाकर सिन्हा और संगीता कृष्णात्रे ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर इस तरह की कार्यशालाएं आगे भी कराने की बात कही.

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