Friday, 4 April 2008

दादा को याद करते हुए

विद्यार्थियों को संबोधित करते मधुसूदन आनंद जी

'दादा' के जन्म दिवस के अवसर पर विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम में नवभारत टाइमस , दिल्ली के संपादक श्री मधुसूदन आनंद, आउटलुक भोपाल के राजेश सिरोठिया और नई दुनिया के सोनी जी

आज अगर दादा माखनलाल चतुर्वेदी जीवित होते तो समकालीन पत्रकारिता का स्वरुप कैसा होता। मुख्य धारा की पत्रकारिता में सामाजिक सरोकारों को लेकर उनका कितना हसक्षेप होता। ऐसे ही कुछ सवालों को उठाते हुए नवभारत टाइमस, दिल्ली के सम्पादक मधुसूदन आनंद जी ने आज माखन दादा के जन्म दिवस पर आयोजित स्मृति व्याख्यान को संबोधित किया।
श्री आनंद के अनुसार, समकालीन मीडिया परिदृश्य बेहद सकारात्मक, संभावनापूर्ण, शिक्षित और रोज़गार परक है परन्तु साथ ही मीडिया कुछ हद तक उप्संस्कृति फैलाने का काम भी कर रही है, इसमे कोई शक नही है।
इस अवसर पर कर्क्रम की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति आर डी शुक्ला ने मीडिया के व्यवसायीकरण का तीखे शब्दों में विरोध किया और साथ ही आदर्शों और मूल्यों पर आधारित पत्रकारिता का आह्वान भी किया।
व्याख्यान के बाद मधुसूदन आनंद पत्रकारिता एवं अन्य आगंतुकों ने पत्रकारिता विभाग के विद्यार्थियों से विशेष चर्चा की।

1 comments:

Ashish Maharishi said...

अच्‍छी जानकारी,